SHREYAS Scheme: शिक्षा में युवा प्रतिभाओं को सशक्त बनाने की पहल

भारत को विश्व स्तर पर ज्ञान का केंद्र बनाने और युवा प्रतिभाओं को सशक्त करने की दिशा में केंद्र सरकार ने समय-समय पर कई योजनाएँ चलाई हैं। इन्हीं में से एक है SHREYAS Scheme (Scheme for Higher Education Youth in Apprenticeship and Skills), जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा के साथ युवाओं को व्यावसायिक कौशल प्रदान कर उन्हें रोजगार के लिए तैयार करना है। यह योजना न केवल शिक्षा और कौशल को एकीकृत करती है, बल्कि इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार के अवसरों से जोड़ती भी है।

आइए, इस योजना के प्रमुख पहलुओं, उद्देश्यों और इसके लाभों पर एक विस्तृत दृष्टि डालते हैं।

Table of Contents

SHREYAS Scheme का परिचय

SHREYAS Scheme की शुरुआत भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) द्वारा 2019 में की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्नातक स्तर के छात्र अपनी शिक्षा के दौरान ही व्यावसायिक कौशल हासिल करें और उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर मिलें।

यह योजना विशेष रूप से उन छात्रों के लिए बनाई गई है जो अपनी शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण लेकर उद्योगों में अपनी उपयोगिता बढ़ाना चाहते हैं। योजना के अंतर्गत छात्रों को उनकी पढ़ाई के साथ-साथ अप्रेंटिसशिप (शिक्षुता) का अवसर भी प्रदान किया जाता है।

SHREYAS Scheme के प्रमुख उद्देश्य

SHREYAS Scheme के माध्यम से सरकार ने युवाओं को आत्मनिर्भर और रोजगार योग्य बनाने के लिए कई लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इनमें प्रमुख उद्देश्य हैं:

  1. शिक्षा और कौशल का एकीकरण: उच्च शिक्षा के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण को जोड़कर युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करना।
  2. रोजगार के अवसर बढ़ाना: छात्रों को उद्योगों की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षण देकर रोजगार के लिए तैयार करना।
  3. राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन का समर्थन: यह योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और अन्य कौशल विकास योजनाओं के उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक है।
  4. उद्योग और शिक्षा संस्थानों के बीच समन्वय: छात्रों को अप्रेंटिसशिप के माध्यम से उद्योगों में काम करने का अनुभव प्रदान करना।

SHREYAS Scheme की विशेषताएँ

इस योजना की कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं, जो इसे अन्य योजनाओं से अलग बनाती हैं:

  1. कॉलेज और उद्योग का जुड़ाव: SHREYAS Scheme के तहत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को उद्योगों से जोड़ा जाता है, ताकि छात्र व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकें।
  2. मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम: छात्रों को अपनी शिक्षा और प्रशिक्षण के दौरान कई बार प्रवेश और निकास का अवसर मिलता है।
  3. स्टाइपेंड और वित्तीय सहायता: अप्रेंटिसशिप के दौरान छात्रों को स्टाइपेंड (वेतन) प्रदान किया जाता है, जो उन्हें वित्तीय रूप से मदद करता है।
  4. रोजगार-उन्मुख पाठ्यक्रम: छात्रों को उनकी रुचि और उद्योग की मांग के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाता है।

SHREYAS Scheme का कार्यान्वयन

SHREYAS Scheme को लागू करने में शिक्षा मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह योजना मुख्य रूप से तीन घटकों पर आधारित है:

  1. नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम (NAPS): छात्रों को अप्रेंटिसशिप के अवसर प्रदान करना।
  2. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): कौशल विकास प्रशिक्षण का आयोजन।
  3. नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (NSQF): प्रशिक्षण को मानकीकृत करना और छात्रों को प्रमाणित करना।

SHREYAS Scheme के लाभ

  1. रोजगार के अवसरों में वृद्धि: यह योजना छात्रों को उद्योगों की मांग के अनुसार तैयार करती है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
  2. व्यावहारिक अनुभव: छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण और कार्यस्थल का अनुभव मिलता है।
  3. आत्मनिर्भरता: छात्रों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए स्टाइपेंड प्रदान किया जाता है।
  4. शिक्षा और उद्योग का समन्वय: इस योजना के माध्यम से शिक्षा और उद्योगों के बीच एक मजबूत पुल बनाया गया है।
  5. उद्योगों की आवश्यकताओं की पूर्ति: यह योजना उद्योगों को कुशल और प्रशिक्षित मानव संसाधन प्रदान करती है।

SHREYAS Scheme की चुनौतियाँ

हालांकि SHREYAS Scheme युवाओं के लिए एक बेहतरीन पहल है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:

  1. उद्योगों की सीमित भागीदारी: सभी उद्योग इस योजना में पूरी तरह से शामिल नहीं हो पाते।
  2. जागरूकता की कमी: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में इस योजना के बारे में जागरूकता की कमी है।
  3. पुनः प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता: छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए शिक्षकों को भी प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

SHREYAS Scheme का भविष्य

SHREYAS Scheme का उद्देश्य भारत को “विश्व कौशल केंद्र” बनाना है। इस योजना के माध्यम से युवाओं को शिक्षा और कौशल का ऐसा संयोजन प्रदान किया जा रहा है, जो उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करता है।

भारत जैसे देश में, जहाँ युवा आबादी का बड़ा हिस्सा है, ऐसी योजनाएँ रोजगार संकट को कम करने और युवाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। अगर इस योजना का सही तरीके से प्रचार-प्रसार और कार्यान्वयन किया जाए, तो यह भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।

निष्कर्ष

SHREYAS Scheme युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। यह न केवल छात्रों को रोजगार के लिए तैयार करती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी देती है। शिक्षा और कौशल के इस समन्वय से देश की युवा शक्ति को नए आयाम मिलेंगे, जिससे भारत को एक आत्मनिर्भर और समृद्ध राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी।

सरकार और समाज के सभी वर्गों को इस योजना के सफल कार्यान्वयन में योगदान देना चाहिए, ताकि “शिक्षा और कौशल का समन्वय” एक सशक्त भारत का निर्माण कर सके।

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